जीवन के है तीन आधार
भूत भविष्य और वर्तमान।
जीना सबको पड़ता है
इन्हीं तीनो कालो में।
भूत बदले भविष्य बदले
या बदले वर्तमान।
फिर जीना पड़ता है
इन्हीं कालो के साथ।।
किसके भाग्य में क्या लिखा
ये तो भाग्य विधाता जाने।
पर मैं जो कुछ भी करता
अपनी मेहनत और लगन से।
तभी तो दिख रहे परिणाम
मुझे इस मानव जीवन में।
इसलिए मुझे आस्था है
अपने भगवान के ऊपर।।
बनो आशा वादी तुम
अपने मनुष्य जन्म में।
करो भरोसा उस पर तुम
जिसे तुम अपना समझते हो।
और उसके लिए लड़ने को जमाने से भी तैयार हो।
वो कोई और नहीं है
ये तीनो ही काल है।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)