आए हैं दिनकर,ये हमको बताने,
अँधियारे जग के ,सारे मिटाने।
आए आए हैं दिनकर……..
कट जाएगी दुःखों भरी रात ये,
खुशियों की लाएगी सौगात रे।
बन जाएगी बिगड़ी हर बात रे,
आए आए हैं दिनकर……….
संस्कारों की पूंजी है सबसे बड़ी,
ये धरोहर हमारी है सबसे बड़ी।
ये कर दे सहज हर मुश्किल बड़ी,
आए आए हैं दिनकर……….
पर्वतों की सुनहरी छटा है न्यारी,
नदियों की कलकल लागे है प्यारी।
ये प्रकृति ही है जीवनदाता हमारी,
आए आए हैं दिनकर…………
ना अपने पराये का कोई भेद हो,
सबके लिए दिल में बस प्रेम हो।
ना किसी का किसी से कोई बैर हो,
आए आए हैं दिनकर………
आओ हम करें कुछ ऐसे जतन,
कर्मों की खुशबू से महके चमन,
करे नाज हमपर हमारा वतन।
आए आए हैं दिनकर……..
स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद-औरैया