(गणित दिवस 22.12.20 पर विशेष)
भारतीय गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सन 1150 ईस्वी में संस्कृत के 625 श्लोकों में गणित विषय गायन विधा से सरल नवाचार जन जन तक पहुंचाया । इसी परम्परा को 870 साल बाद आगर मालवा उत्कृष्ट उ मा विद्यालय के राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक डाॅ दशरथ मसानिया ने हिन्दी मात्र 70 दोहों में समेटने का प्रयास किया है।
सबसे पहले गणित चालीसा है जिसे 40 चौपाइयों में हनुमान चालीसा की तर्ज पर लिखा गया है। गणित की अवधारणायें 11 दोहे,परिभाषायें 14 दोहे, सूत्र 13 दोहे, संख्या गायन 11 दोहे, गणित के फंडे 8 दोहे,पहाडे 6 दोहे तथा गणितज्ञों के नाम 7 दोहों में रखे गये है।
एक दोहा देखिये —
“बाइस दिस को गणित दिन,रामानुज पहिचान।
दिन तो छोटा होत है,लंबी रात मसान।”
गणित के कई मास्टर ट्रेनरों ने गणित दिवस (रामानुजम जयंती) पर इस नवाचार को म प्र शिक्षा विभाग को भेजकर पाठ्यक्रम में जोड़ने की अनुशंसा की है।
अनिल दामके
उच्च मा शिक्षक (गणित)
शा उत्कृष्ठ उ मा वि आगर मालवा