झिलमिल में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के गूगल समूह पर अब साहित्यनामा भी। अपनी भाषा द्वारा प्रधानमंत्री जी को पत्र
महाप्रबंधक महोदय
दिल्ली मेट्रो निगम
नई दिल्ली
विषय – दिल्ली मेट्रो द्वारा हिंदी की उपेक्षा का विरोध।
महोदय
पिछले दिनों दिल्ली मेट्रो ने प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर सुप्रीम कोर्ट कर दिया गया है। दिल्ली मेट्रो को हिंदी से परहेज क्यों है जो यमुना तट की बजाय स्टेशन का नाम यमुना बैंक रखती है तो उच्चतम न्यायालय के स्थान पर उसे सुप्रीम कोर्ट ही सुझता है? दिल्ली मेट्रो की भारत भाषाओं से चिढ़ का कारण जानने का अधिकार देश की जनता को है।
उस समय भी हमने आपत्ति दर्ज कराई थी कि बैंक शब्द का सामान्य व्यक्ति के लिए अर्थ भिन्न है अतः इसे बदला जाए लेकिन उस गलती को सुधारने की बजाय दिल्ली मेट्रो ने फिर राष्ट्रभाषा हिंदी का अपमान करने का दुस्साहस किया है।
हमारी मांग है कि अंग्रेजी मानसिकता वाले अधिकारियों की पहचान कर उन्हें तत्काल प्रभाव से दिल्ली मेट्रो से बाहर किया जाए तथा इन दोनों स्टेशनों का नाम फौरन हिंदी अथवा किसी भी भारतीय भाषाओं में रखा जाये i भविष्य के लिए भी ऐसी नीति बनाई जाए जिससे इस प्रकार की दुर्घटनाएं फिर से न हो।
आशा है दिल्ली मेट्रो निगम भारत को भारत बनाने के षड्यंत्र से स्वयं को मुक्त करेगा।
भवदीय
विनोद बब्बर
संपादक – राष्ट्र किंकर