तपन से जलता हुआ बदन देखा
एक माँ के माथे में शिकन देखा
सोच में मशगूल,ऐसा चमन देखा
बदहवास रहे,दिल में चुभन देखा
बोझ वो अपने दिलो में लिए हुए
घर से निकल कर यूँ वतन देखा
वो रोती, चिल्लाती जाती इधर उधर
लाल के खातिर बेचते उसे तन देखा
सब भर ना सोया था उसका लाल
माँ की ममता का दिल में सुमन देखाH
दौरे सियासत आपस में लोग भूले हुए
रोज़ मरते यहाँ बूढ़ी माँ का रतन देखा
हैरत नही यहाँ ये देख “आकिब”तुझको
थोड़े से लालच में बेचते ईमान देखा।।
परिचय :
नाम-. मो.आकिब जावेदसाहित्यिक उपनाम-आकिबवर्तमान पता-बाँदा उत्तर प्रदेशराज्य-उत्तर प्रदेशशहर-बाँदाशिक्षा-BCA,MA,BTCकार्यक्षेत्र-शिक्षक,सामाजिक कार्यकर्ता,ब्लॉगर,कवि,लेखकविधा -कविता,श्रंगार रस,मुक्तक,ग़ज़ल,हाइकु, लघु कहानीलेखन का उद्देश्य-समाज में अपनी बात को रचनाओं के माध्यम से रखना