मेरे साथ एक घटना घटी,
बात बिल्कुल सच्ची है पर अटपटी |
करवांचौथ का दिन था ,
मेरा मन बड़ा ही खिन्न था ,
दफ़्तर में काम ज्यादा था ,
काम करने वाला मै ही प्यादा था
मेरा पास एक मोबाइल आया
मै जरा उस समय घबराया
मैंने मोबाइल उठाया और बोला ,
“आप कौन साहब बोल है,”
दूसरी तरफ से आवाज आई,
“मैं बोल रहा नहीं,बोल रही हूँ ,
क्या आप नई कार खरीदना चाहोगे ?
करवांचौथ के मौके पर गिफ्ट देना चाहोगे ?
कार बहुत सस्ती है डिस्काउंट पर मिल रही है ,
केवल ये आज ही मिल रही है
ऐसा मौका कभी नहीं पाओगे
आज ले लो वरना पछताओगे,”
मै उसे टालने के मूड में था
पर वह देने के मूड में थी
मैंने कहा,अच्छा 7 -8 के बीच में आऊंगा
और नई कार डिस्काउंट पर ले जाऊंगा |
शाम हो चुकी थी अँधेरा हो चूका था
तभी फिर एक मोबाइल आया
मै फिर तनिक हड़बड़ाया
“सुनते हो,आते वख्त एक चलनी ले आना
भूलना नहीं मेरे साथ करवांचौथ मनाना”
मै बाज़ार गया,कोरोना का दौर था ,
एक के साथ एक चलनी फ्री मिल रही थी
मैंने दोनों चलनी अपने बैग में रख ली
और अपने घर की ओर राह ली
बैग टेबिल पर रख दिया
हाथ पैर धोने चल दिया
तभी फिर एक मोबाइल आया
जिसको मेरी बीबी ने उठाया
दूसरी तरफ से आवाज आई
“मै आपका इंतजार कर रही हूँ
आपने आठ बजे आने का वादा किया था
आप नहीं आ रहे हो तो मै आ रही हूँ ‘
बीबी का माथा तुरंत ठनका
उसने बैग खोला और पटका
उसमे दो नई चलनी निकली
बीबी तड़क कर बोली,
“जाओ उसी के पास जाओ
मुझे क्यों शक्ल दिखानेआये हो
मैंने अपनी सफाई देनी चाही
पर उसने मेरी कोई सुननी न चाही
उसने चप्पल उठाई,
और दस बारह मेरी चांद पे लगाई
इसी तरह से हमने करवांचौथ मनाई ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम