मैं हूं छोटी सी ,छोटी सी ख्वाहिश,
खूब पढ़ने और लिखने की ख्वाहिश ।
चांद तारों से मिलने की ख्वाहिश,
बनके तितली सी उड़ने की ख्वाहिश।
मैं हूं छोटी सी ………
सरिता सी कल कल बहने की ख्वाहिश,
मेघों के जैसे बरसने की ख्वाहिश।
फूलों के जैसे महकने की ख्वाहिश,
पर्वतों सी डटने की ख्वाहिश।
मैं हूं छोटी सी…………
बांट दूं खुशियां अपनी सारी मैं,
पोंछूं आंखों से सबके आंसू मैं।
मुस्कान दे दूं अपने होंठों की,
फैला दूं जग में खुशियों के मोती।
मैं हूं छोटी सी……….
बेसहारों की बनूं मैं सहारा,
पतझड़ में छाऊं बन के बहारा।
निर्बलों की ढाल बनूं मैं,
कुछ ऐसा ही कमाल बनूं मैं।
मैं हूं छोटी सी………..
रचना
सपना
जनपद औरैया