‘निश्छल प्रेम’

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salil saroj
आख़िर
तुम मुझे क्या दे पाओगे
ज्यादा से ज्यादा
अपराध बोध से भरी हुई अस्वीकृति
या
आत्मग्लानि से तपता हुआ निष्ठुर विछोह
हालाँकि
इस यात्रा के पड़ावों पर
कई बार तुमने बताया था
इस आत्म-मुग्ध प्रेम का कोई भविष्य नहीं
क्योंकि
समाज में इसका कोई परिदृश्य नहीं
मैं
मानती रही कि
समय के साथ
और
प्रेम की प्रगाढ़ता
के बाद
तुम्हारा विचार बदल जाएगा
समाज का बना हुआ ताना-बाना
सब जल जाएगा
पर मैं गलत थी
समय के साथ
तुम्हारा प्यार
और भी काल-कवलित हो गया
तुम्हारा हृदय तक
मुझसे विचलित हो गया
तुम तो पुरुष थे
ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति
कभी कृष्ण, कभी अर्जुन की नियति
समाज की सब परिपाटी के तुम स्वामी
संस्कार,संस्कृति सब  तुम्हारे अनुगामी
फिर भी
प्रेम पथ पर
तुम्हारे कदम न टिक पाए
विरक्ति-विभोह के
एक आँसू भी न दिख पाए
मैं
नारी थी
दिन-दुनिया,घर-वार
चहुँओर से
हारी थी
मुझको ज्ञात था
अंत में
त्याग
मुझे  ही करना होगा
सीता की भाँति
अग्नि में
जलना होगा
पर
मैं
फिर भी तैयार हूँ
तमाम सवालों के लिए
मैं खुद से पहले
तुम्हारा ही बचाव करूँगी
और
जरूरत  पड़ी तो
खुद का
अलाव भी करूँगी
मैं बदल दूँगी
सभी नियम और निर्देश
ज़माने के
और
हावी हो जाऊँगी
सामजिक समीकरणों पर
और इंगित कर दूँगी
अपना
”निश्छल प्रेम”
जो मैंने
जीकर भी किया
और मरने के बाद भी
करती जाऊँगी
#सलिल सरोज

परिचय

नई दिल्ली
शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011),  जीजस एन्ड मेरीकॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)।

प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव।सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।