चलो अब खुद को बेसहारा कर लिया जाए,
एक दूसरे से अब किनारा कर लिया जाए…।
साथ नहीं था मुमकिन हमारे नसीब में,
दुनिया को कहने को कोई बहाना कर लिया जाए…।
वो लम्हों खफा रह कर एक पल का सुकून देता है,
चाहती हूँ अब इसका भी सहारा ना लिया जाए…।
तमाम उलझनों से जो राहत दे रहा हो हमको,
उस फैसले को लेने में वक़्त जाया क्यूं किया जाए…।
चलो अब खुद को बेसहारा कर लिया जाए,
एक दूसरे से अब किनारा कर लिया जाए…।
#वर्षा चतुर्वेदी
परिचय: बोलने और लिखने में बेबाकी के लिए पहचानी जाने वाली वर्षा चतुर्वेदी दतिया( मध्यप्रदेश)से ताल्लुक रखती हैं। १९८९ में जन्म हुआ है। आपने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से एमबीए (वित्त प्रशासन) किया है। अलग-अलग मुद्दों पर कलम उकेरना आपको पसंद है।