तेरा आशीष पाकर,
सब कुछ पा लिया हैं।
तेरे चरणों में हमने,
सर को झुका दिया हैं।
तेरा आशीष पाकर …….।
आवागमन गालियां
न हत रुला रहे हैं।
जीवन मरण का झूला
हमको झूला रहे हैं।
आज्ञानता निंद्रा
हमको सुला रही हैं।
नजरे पड़ी जो तेरी,
मेरे पापा धूल गए है।
तेरा आशीष पाकर……।।
तेरे आशीष वाले बादल
जिस दिन से छाए रहे हैं।
निर्दोष निसंग के पर्वत
उस दिन से गिर रहे हैं।
रहमत मिली जो तेरी,
मेरे दिन बदल गये है।
तेरी रोशनी में विद्यागुरु,
सुख शांति पा रहे है।।
तेरा आशीष पाकर …..।।
आज पर्युषण महापर्वराज के दसवां दिन उत्तम ब्रह्मचर्य किसी किसी धर्म के अवसर पर आचार्यश्री के चरणों में उपरोक्त संजय जैन मुम्बई का भजन समर्पित है।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)