विनोद हर रोज की तरह अपनी सिफ्ट पूरी कर रात 8 बजे के बाद गांव जाने के लिए कस्बे से निकला ही था कि देखा एक 19-20 वर्षीय लड़की डरी सहमी स्कुटी पर जा रही थी। यह देख विनोद ने अपनी गाड़ी को धीमा कर चलाते हुए लगभग चालीस पचास मीटर की दूरी रख उस लड़की का पिछा करने लगा। लड़की स्कुटी तेज चलने लगे तो विनोद भी अपनी गाड़ी को तेजी से चलाए ओर लड़की धीरे चलाए तो विनोद गाड़ी को धीरे कर चलाने लगे।
इस बीच दो तीन चार वाहन भी आए ऐसे में विनोद अपनी गाड़ी को स्कुटी के बिल्कुल पास करके चलाने लगे।
आगे सड़क पर दो तीन आदमी खड़े देख उसने अपनी स्कुटी रोक दी।
विनोद भी गाड़ी धीमी कर दी थी तभी लड़की ने कुछ बोलते हुए गाड़ी की तरह इशारा किया,तब तक विनोद गाड़ी रोक चुका था व कुछ समझ पाता उन्होंने ने उस पर ताबड़तोड़ सवाल दागने शुरू कर दिए, तुम्हें शर्म आनी चाहिए अकेली लड़की देख पीछा करते हुए, तुमने क्या सोचा था कि…….
आप लोग मेरी भी सुनोगे। तू क्या सुनाएगा उचक्का कहीं का, फिर भी एक बार मेरी भी सुनो। मुझे अगले गांव जाना है, जैसे ही मैं सड़क पर आया तो मैंने इसे डरी सहमी अवस्था में स्कूटी चलाते हुए देखा मैंने अपनी गाड़ी को इसकी सुरक्षा के लिए पीछे पीछे लगा दी। यह सोचकर की अकेली लड़की है यदि रास्ते में कोई दिक्कत हुई तो मैं सहायता कर इसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचा सकूं।
विनोद की यह सुनकर लड़की ने कहा श्रीमान जी आप अपनी जगह ठीक हैं परन्तु आपने यह नहीं सोचा कि जिसे आप सुरक्षा दे रहे हैं वह आप ही की वजह से असुरक्षित महसूस कर रही है।
शुभकरण गौड़
हिसार हरियाणा