“माँ मुझे तेरे आँगन में खेलना हैं “
माँ ससुराल का घर बहुत बड़ा है, मगर आँगन छोटा हैं |
मुझे तेरे आँगन में खेलना हैं |
माँ सास के आँचल में प्यार है ,मगर मुझे तेरे आँचल में सोना है |
माँ मुझे कमरे में, अकेली को डर लगता हैं |
इसलिए मुझे तेरे आँचल में सोना है |
माँ ससुराल में काम तो नहीं हैं ,
मगर मुझे तेरा हाथ बंटाना हैं |
माँ ससुराल में मुझे बेटी की तरह रखते हैं,
लेकिन मुझे तेरे साथ दुख सुख बांटने हैं |
माँ ससुराल का घर बहुत बड़ा है मगर आँगन छोटा हैं |
इसलिए मुझे तेरे आँगन में खेलना हैं….
परिचय~
नाम~श्वेता कस्वाँ
जन्म स्थान~रामसर (बीकानेर)
वर्तमान पता~बीकानेर(राजस्थान)
शिक्षा ~बी. ए
कार्य क्षेत्र ~स्वतंत्र लेखन
विधा~कविता/कहानी लेखन
सम्मान~कवयित्री नाम से अभिहित एक सम्मान हैं |
लेखन का उद्देश्य ~मातृभाषा प्रसार व हिन्दी काव्य जाग्रति का प्रचार