दशकों के संघर्ष का सुपरिणाम है रामजन्मभूमि मंदिर। 5 अगस्त को होने वाला भूमिपूजन 2020 की नई पीढ़ी के लिए बिल्कुल वैसा ही महोत्सव होगा, जो कभी स्वतंत्रता के बाद सोमनाथ जीर्णोद्धार के समय था। सरदार पटेल की जीवटता के कारण सोमनाथ ने तो न्याय पा लिया, किन्तु अयोध्या को न्याय मिलना अभी शेष था। देश के नेतृत्व की भूल थी, जिस आध्यात्मिक संस्कृति का संरक्षण जरूरी था उसे उपेक्षित रहने दिया गया। फिर कुछ कुबुद्धि राजनीतिक व्यक्तियों ने इस विलक्षण धरोहर को विवादित बनाकर न्यायालय में अटकाए रखा। अब जाकर देश की आस्था अपने योग्य आसन पर विराजित हुई। करोड़ो भक्तों, कारसेवकों, हुतात्माओं, आंदोलन में लगे सभी रामभक्तों के लिए यह स्वर्ग पाने जैसा है। रामजन्मभूमि भव्य मंदिर भूमिपूजन यह भारत की लाखों वर्ष प्राचीन संस्कृति की विजय का महोत्सव होगा।
मंगलेश सोनी
मनावर (मध्यप्रदेश)