मात्रा भार-यति-14-14*
वज़्न-2122-2122-2122-2122,अर्कान-फाइलातुन×4
बारिशों में गीत भीगे, बादलों ने कह सुनाया।
पावसी घनघोर मौसम, गीत सब ने गुनगुनाया।
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बैठ पादप कूक मारे,वो पपीहा है मगनमन।
आज हर्षित है भुवन पर,आज रमणी का विकल मन।
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शोर में था मोर नाचा,मोरनी ने सुर लगाया।
पावसी घनघोर मौसम, गीत सब ने गुनगुनाया।-01
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आज चकवा और चकवी,गान विरहा गा रहे वो।
चांद बिन आकाश सूना,आज बदरा छा रहे वो।
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गीत की धुन में परिंदों,ने भुवन में चहचहाया।
पावसी घनघोर मौसम,गीत सब ने गुनगुनाया।-02
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हैं लता प्रमुदित सुवासित,और सुरभित आज कानन।
मन प्रफुल्लित हो रहा,हर्षित हुई हैं आज आनन।
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यौवनी बाला कदम की,डाल पर झूला बनाया।
पावसी घनघोर मौसम, गीत सब ने गुनगुनाया।-03
*प्रदीपमणि तिवारी/ ध्रुवभोपाली भोपाल म.प्र.