सीमा

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कौशल कुमार पाण्डेय  ‘आस’
(विधा- वीर छंद,मात्राभार- कुल 31,यति 16/15
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रक्षक ही भक्षक बन करके,
     लूट   रहे   हैं   देखो   जान।
बने भेड़िए  घात लगाए,
     करते भारत  का अपमान।।
शर्म करे दरबार देश का,
      रखे  न अपनी आँखें  मींच।
अग्निशस्त्र को आज उठाओ,
       सीने  पर  मारो  दे  खींच।।
कुत्तों के मरने की चिंता,
       व्यर्थ  रहे  हो मन  में धार।
छत्तीस इंची सीना कहके,
      झूठी    शेखी   रहे   बघार।।
भारत का सम्मान विक्षत कर,
       उससे  खेल  रहा नापाक।
उग्रवाद को आड़ बनाकर,
       समझ रहा है सबको खाक।।
एक-एक के बदले सौ-सौ,
        नर मुण्डों को लो यदि काट।
खड़ी कर सकोगे तब सच में,
          पाक पड़ोसी की तुम खाट।।
समय नहीं गाँधी बनने का,
          बनना होगा तुम्हें सुभाष।
जड़ से हाथ उखाड़ो पहले,
         तब होगा उसको आभास।।
वीर शिवा का रूप धार कर,
         राणा बनकर कर दो बार।
मंगल पाण्डे-सा निश्चय कर,
         करो शत्रु  पर तुरत प्रहार।।
कूटनीति कान्हा से सीखो,
        शकुनी को जिन दीनी मात।
भीष्म प्रतिज्ञा दिल्ली कर ले,
        झेल  न  पाएंगे अब घात।।
रौद्र रूप में आने वाली,
          है देखो दिल्ली  सरकार।
समझाना है समझा दो फिर,
          दोष  नहीं  देना इस बार।।
आँख उठी सीमा पर दिल्ली,
            कर  डालेगी  नरसंहार।
रौद्र रूप में आने वाला,
           है अब तो दिल्ली दरबार।
नाम निशान मिटा रख देगा,
       फिर मत करना कोई गुहार।।
कौशल कुमार पाण्डेय  ‘आस’
परिचय : कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’ की  शिक्षा एमकाम,एमएड सहित साहित्याचार्य भी है। आप पीलीभीत(उ.प्र.) के बीसलपुर में रहते हैं। विधा की बात करें तो,गीत, मुक्तक,छंद,गजल लिखते हैं। कई सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक,साहित्यक एवं धार्मिक संस्थाओं में दायित्व पर हैं। आपके रचित कालसेन चालीसा व सप्तक प्रकाशित हुए हैं तो,कुछ पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। साथ ही कवि सम्मेलन व क्षेत्रीय गोष्ठियों में सहभागिता भी करते हैं। कई विद्यालयों व संस्थाओं से सम्मान पत्र मिले हैं।

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