0
0
Read Time21 Second
वो शमा और था, वो रहगुज़र और था
हुश्नो-इश्क़ का नायाब मंज़र और था
जिस नज़र तूने देखा,हम क़त्ल हो गए
तेरी निगाहों में आज खंज़र और था
बस छुआ और मैं कहीं खो सा गया
तेरे अधरों पर खिलता शज़र और था
#सलिल सरोजनई दिल्ली
Post Views:
354