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मेरे खून में वही रवानी देख लेना
देश के काम आए जवानी देख लेना
निसार दुं जान भी मैं वतन के लिए
बाद मरने के मेरे कहानी देख लेना
मंदिर में आरती मस्जिद की अज़ान
शाम होती है कितनी सुहानी देख लेना
जिसकी बुनियाद पर टिकी वो मीनार
अपनी नजरों से नींव पुरानी देख लेना
नेमत से महकता है जिसके घर आंगन
जरा उस रब की मेहरबानी देख लेना
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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