तुलसी जयंती पर विशेष
तू कहते हैं राम को,ल से लक्ष्मण जान।
सी का मतलब मातु सिय, दास बसे हनुमान।।
जय तुलसी हिंदी रखवारी।
राम भगत संतन सुखकारी।।1
सावन सुदि सातम शनिवारा।
तुलसी बाल्मीक अवतारा।।2
चित्रकूट राजापुर ग्रामा।
उत्तर भूमी पावन धामा।।3
पिता आतम माता हुलसी।
मूल नखत्तर जन्में तुलसी।।4
पांच बरस सा बालक प्यारा।
जनम लेत ही राम उचारा।।5
देह सुहावन मुख में दांता।
परिजन सारा देखत कांपा।।6
बालकाल में भये अनाथा।
चुनियाबाइ दयो तब साथा।।7
मांगत खावत बने भिखारी।
सरस्वती की किरपा भारी।।8
संवत पंद्रह इकसठ आई।
माघ शुक्ल पांचम भाई।।9
सरजू तट यज्ञोत कराया।
राम नाम का मंत्र सिखाया।।10
संवत पंद्रह त्रेसठ आया।
तेरस शुक्ला जेठ सुहाया।।11
रत्नावलि तुलसी के संगा।
सुंदर कन्या वामा अंगा।।12
पत्नी से जब शिक्षा पाये।
गृहस्थी छोड़ संत कहाये।।13
नरहरि गुरु से करि सत्संगा।
सुनते गाथा राम प्रसंगा ।।14
शेष सनातन वेद पढ़ाया।
व्याकरण भाषज्ञान कराया।।15
हनुमत सेवा के फल खाये।
चित्रकूट में दर्शन पाये।।16
राम लखन का सुंदर जोड़ा।
हाथ धनुष मनमोहक घोड़ा।।17
जब बालक ने माथ नवाया।
तुलसी चंदन राम लगाया।।18
संत शिरोमणि भक्त समाजा।
तुलसी जीवन रामहि काजा।।19
तुलसी सूरदास के संगा।
कृष्णदरश से पुलकित अंगा।।20
बंशी छोड़ धनुष को धारा।
तुलसी नमन किया करतारा।।21
मीरा से भी पत्राचारा ।
विनय पत्रिका भाव विचारा।।22
संवत सोलह सौ इकतीसा।
राम चरित को भयो गणेशा।।23
बरस दो अरु महिना साता।
छब्बिस दिन में पूरी गाथा।।24
संवत सोलह तैतिस आया।
राम विवाह पे ग्रंथ रचाया।।25
राम कथा काशी में गाई।
विश्वनाथ सुनके हरषाई।।26
गांव गांव में घर घर जाते।
तुलसी पौथी बांच सुनाते।।27
ढोंगी पंडित सब घबराते।
ज्ञानी जन सुनके हरषाते।।28
चार वेद षड दर्शन ज्ञाना।
पुराण अठारा ज्ञान समाना।।29
अवधी भाषा सरस बनाई।
जन जन के कंठों से गाई।।30
छंद मात्रिक सुन्दर दोहा।
चौपाई सोरठ जग मोहा।।31
उपमा रूपक यमक सुहाई।
सभी रसों में कविता गाई।।32
बाल अयोध्या अरु अरण्या।
किष्किंधा सुंदर है धन्या।।33
उत्तर अंतिम कांड सुहाई।
राजा राम प्रजा हरषाई।।34
हिंदी अवधी ब्रज के ज्ञाता।
संस्कृत से भी तुम्हरा नाता।।35
रस छंदों के गावन हारा।
अलंकार भी खूब संवारा।।36
विनय जानकी हनु चालीसा।
बाहुक कविता दोहा गीता।37
संवत सोलह अस्सी आई।
सावन तीजा ज्योति समाई।।38
असी घाट गंगा के तीरा।
तुलसी त्यागा भौति शरीरा।।39
जय बाबा तुलसी अवतारी।
तेरी महिमा सबसे भारी।।40
रामचरित मानस लिखा,विनय पत्रिका गान।
तुलसी हिन्दी मान है,कहत हैं कवि मसान।।
डाॅ दशरथ मसानिया,
आगर मालवा