फूल खुशबू चमक तितलियां आ गईं,
माँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं।
जा के अंदाज़ ताकत का फिर लग गया,
जब बगावत में सब लड़कियां आ गईं।
मुझको उस पार जाना कठिन जब लगा,
फिर दुआ माँ ने की कश्तियाँ आ गईं।
ज़िंदगी का मज़ा फिर तो जाने लगा,
जब भी रिश्तों में कुछ तल्खियां आ गईं।
उसको फ़ंसना है इक दिन पता जब चला,
जाल में खुद-ब-खुद मछलियाँ आ गईं।
उम्रभर की पढ़ाई से ये बस हुई,
एक फाइल में सब डिग्रियां आ गईं।
एक मुद्दत हुआ घर भी छोड़े हुए,
कितनी रिश्तों में ये दूरियां आ गईं॥
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरीपरिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है
और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl