एक जुलाई को अब, शाला उत्सव जान।
माथे तिलक लगाइये, शारद का हो गान ।।
पुस्तक दीजे हाथ में,खीर पुड़ी भी साथ।
गुरु शिष्य मिल बांचिये, लेके पुस्तक हाथ।।
कोरोना के कारणे,दो गज रहना दूर।
मास्क मुंह पे बांधके,काड़ा भी भरपूर।।
मास जुलाई लागते,गणवेशा सिलवाय ।
पुस्तक का वाचन करें ,कहते है कविराय ।।
मास अगस्ता मध्य में,लो झंडा फहराय।
खीरपुड़ी का भोज दे,सभी पेट भर खांय।।
सितंबरा में सायकल, देना तुम बँटवाय ।
समग्र अधार योजना, खाता भी खुलवाय।।
अक्टूबर के मंथ में, स्वच्छता अभियान ।
मास नवम्बर छात्रवति ,कहते हैं कवि मसान ।।
दिसम्बरा के अंत में, प्रतिभा पर्व महान।
जनवरीगणतंत्र दिवस,करे राष्ट्र सम्मान।।
फरवरी के अंतमे , पूरे हो सब पाठ।
मार्च परीक्षा लीजिए,मर्यादा के साथ।।
अप्रैल माह में सदा,ऑडिट लो करवाय।
रिजल्ट भी पूरा करो,सबको दो सुनवाय।।
आरटीइ कानून का,सदा करो सम्मान ।
बलिहारी गुरु आपकी, सोलह आना पास ।।
मई महीना ग्रीष्मका,सर्वे घर-घर आन।
बारह मासी गाइये,कहते कवि हैं मसान ।।
डाॅ दशरथ मसानिया
आगर मालवा