इंसानियत से प्यार जब दीन-ओ-जान हो जायेगा
मुज़्तरिब हाल में हाथ थामना ईमान हो जायेगा
रस्म है, ज़िंदगी करवटें बदलती रही इब्तिदा से
शिद्दत से जिया जो मालिक मेहरबान हो जायेगा
ख़ुदसे मुलाक़ात कीजिये रोज़ाना आईने के रूबरू
बिख़र गया चकाचौंध में फिर इंसान हो जायेगा
हो गया ख़ामोश गिर कर इंसाँ तौबा भी कीजिये
उठके देखिये तो, झुकने को आसमान हो जायेगा
सख़्त राह पे सीख लिया जो अश्कों को पी जाना
तिरि इस अदा पर कोई अपना क़ुर्बान हो जायेगा
फ़ब्तियाँ शहर-भर की झेलियेगा बड़ी नफ़ासत से
चुप हो जायेंगीं ज़बाँ ज्यूँ जज़्बा चट्टान हो जायेगा
इल्ज़ामात क्या इम्तिहान बस थोड़ा सब्र कीजिये
शाम-ए-वस्ल पर ‘राहत’ इश्क़ जवान हो जायेगा
#डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’