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उम्र बड़ी बेरहम है
दिखाती अपना रंग
शरीर क्षीण हो जाता है
बदल जाता है ढंग
रुग्णता के आधिपत्य में
तिल तिल मरना पड़ता
घर के सबसे बड़े को
एक दिन जाना ही पड़ता
उम्र सब्र का पैमाना बनती
एक जिंदगी शाम सी ढलती
यही तो है जिंदगी का सच
नश्वर देह है ,आत्मा सच।
#श्रीगोपाल नारसन
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