कह गये राम सिया से –
ऐसा कलयुग आयेगा,
सांस-सांस पर टैक्स लगेगा,
बस लट्ठों का उपहार मिलेगा |
भोजन का अम्बार तो होगा,
पर दाने-दाने को मनुज तरसेगा |
भीषण महामारी में भी भ्रष्टाचार पनपेगा ||
सांपों में जहर न होगा
पर आदमी जहर उगलेगा |
रक्षक भक्षक बन जायेंगे
झूठा देशधर्म का पाठ पढ़ायेंगे |
सारे चोर-लुटेरे …
भारत में साधु बन जायेंगे
रामराज की आड़ में,
रावणता पनपायेंगे |
कह गये राम सिया से –
देवों की शक्लों में दानव पैदा होंगे
मंदिर सभी बंद पडे रहेंगे
और मदिरालय सब खुले रहेंगे |
देश चलाने वाले महामारी में भी अवसर खोजेंगे
जितना लूट सकेंगे
जी भर-भरकर लूटेंगे …
मानवता तड़प-तड़पकर सड़कों पर
भूखी-प्यासी मर जायेगी
और फिर प्रलय हो जायेगी…|
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl