कसाब के नाम पर ब्रिज मुंबई हमले के शहीदों का अपमान है।

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यह जानकर किसी भी देश-भक्त को दुःख होगा कि हमारे यहाँ किसी आतंकवादी के नाम से भी ब्रिज हो सकता है। दरअसल दक्षिणी मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के उत्तरी गेट के पास एक ओवरब्रिज है, जिसे लोग ‘कसाब-ब्रिज’ कहने लगे हैं।
 मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब के नाम से यह ब्रिज किसने रक्खा, कब रक्खा- यह मूल विषय नहीं है। मूल विषय यह है कि लोग इसे ‘कसाब-ब्रिज’ के नाम से ही बुला रहे हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं है।
मूल मुद्दों पर चुप हो जाना और बेकार की बातों को तूल देना हमें ख़ूब आता है। एक अलौकिक बालक क्या खाता है, क्या पहनता है और शादी के बाद कोई महान जोड़ी हनीमून मनाने कहाँ जा सकती है, हमारे लिए महत्त्वपूर्ण ख़बर है।
मीडिया एवं सरकार की सजगता और सहभागिता ऐसी होनी चाहिए थी कि शहीदों की याद में यह जगह विकसित होती, लेकिन फ़िक्र किसे है? इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अगर इसके चप्पे-चप्पे पर शहीदों की स्मृति में कुछ लिखा जाता, एक सकारात्मक विकल्प (नाम) दिया जाता तो बात बनती। लेकिन,  ‘सब चलता है’ के दृष्टिकोण की वजह से यह हो रहा है और हम लिजलिजे,  बिना रीढ़ की हड्डी वाले मौक़ापरस्त नागरिकों की तरह यह देख रहे हैं। वैसे यही तो हमारी प्रवृत्ति है, तभी तो वर्षों से आक्रांताओं को यहाँ जयचंद, मान सिंह, मीरजाफ़र, फनींन्द्र घोष आदि मिलते रहे हैं।
माना जाता है कि देश से राष्ट्र बनने की प्रक्रिया सांस्कृतिक अस्मिता-बोध से ही होकर गुजरती है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो सांस्कृतिक अस्मिता-बोध का अभाव ही मूल कारण है कि हम सदियों गुलाम रहे।  शहीदों के अपमान वाली चीजें छद्म-बुद्धिजीवियों के देश में ही जगह पा सकती हैं।
बहरहाल किसी शहीद के नाम पर अगर यह ब्रिज हो जाए तो इस कलंक से मुंबई शहर बच जाएगा। कम से कम इस मामले में महाराष्ट्र सरकार योगी आदित्यनाथ से सीख सकती है।
#कमलेश कमल

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।