ग्वाला चालीसा

1 0
Read Time3 Minute, 47 Second

धनगर ग्वाल समाज का, बहुत बड़ा इतिहास।
दूध दही नदियां बहे, कृष्ण रहे विश्वास।।

जयजय प्यारे ग्वाला भाई ।
सवा रुपे में करें सगाई।।1
लड़ते कुश्ती नाल उठाते ।
सेना में भी धाक जमाते।।2
पूजें जाख भुजरिया गावे।
देव छठ भी खूब मनावे।।3
खीर पुरी औ कड़ी बनाई।
देवन भोग लगाते भाई।।4
जहां ग्वाल बस्ती है भाई।
छावनी पंचो की कहलाई।।5
घर के रार यहीं हल होते।
म्हाते चौधरी न्याय सुनाते।।6
गाते रसिया फागुन होरी।
धोती कुर्ता ब्रज की बोली।।7
लहंगा लुगरा तन पे अंगिया।
कड़ी आमले आयल बिछिया।।8
ब्याह समय हरदौल बुलाते।
पान बतासे भोग चढ़ाते ।।9
लगन पत्रिका जब लिखवाते।
पूर्वजनों को नौत बुलाते।।10
हरिया बांस से मंडप छाये।
सखियां मंगल कलश सजायें।।11
कंकन डोरा द्वार रुकाई।
गूंथ खोलकर करें विदाई।।12
भोजन करते सभी बराती।
सखियां हंस हंस मंगल गाती।।13
सन अड़तालिस उन्नीस आया।
आगर चिकली उत्सव छाया।।14
भूरा पटेल मंदिर बनवाया।
सकल पंच को नौत बुलाया।।15
दूर-दूर से गाड़ी आई।
तीन दिनों तक भई गवाई।। 16
समाज सुधार नियम बनाये।
सब टोलिन को फेंटा बंधवाये।17
देवीलाल ने संगठन बनाई।
सन अस्सी में ज्योत जलाई।।18
धनगर ग्वाल समाज कहाई।
दुलारे जी इतिहास बनाई।।19
अहिर गाडरी गूजर ग्वाला।
इन चारों में हेला मेला।। 20
गोत अट्टाइस इसमें पाई।
सबके खेड़ा अलग कहाई।।21
खिरावली गुलोदरा सोई ।
तीनों खेडा कोकंदे। होई।।22
पासड़ परा गुठिना दिनार।
बहादुर बरावली हिन्नवार।।23
ग्यारह खेड़ा रियार बसाई।
टुडिला कठवा आदि कहाई।।24
सुरा भदरोली डगरबरासी।
रोतेले रतबाई वासी।।25
सुनावली डोंगरपुर भाई।
खेडा मसानिया कहलाई।।26
छरेंटगांव चंदेल बसाई।
हांस गौत्र परा से आई।।27
कूमिया दिवारा अरु पवाई।
खेड़ा सपा देपरा भाई।।28
नरवर दुबेले गांव बसाई।
सूरी बेहट निगोते आई।।29
जगमनपुर पावई पचेरा।
पवाई सरवर सागर खेड़ा।।30
चन्दुपुरा गड़ोली गुठोना।
तीनो ठौर गुजेले आना।।31
दयेली धौलपुर भमनिया।
मऊमोहरी बसे मोहनिया।।32
खेड़ा बनिये खरोवा गोहद।
फुलसुंगा ग्वालियर आरोन।।33
बुलेटा चन्युपुरा लाचूरी।
अरु मालवा गांव पचोरी।।34
पिपरसनो सिरसोद बडेरो।
अहिर गोत को यही बसेरो।।35
गुगर गुलोर थम्मार बसाई।
दुई जवार कछवाये आई।।36
रैकबार चौसंगी खेड़ा।
ररा बनवार रतबइ रोरा।।37
राठौर भिंड पडरिया परोली।
ग्वाला सब गोगरे लखोनी ।।38
सुमावलि सतोगिया बसाई।
सिंगार धेमना मोरिया भाई।।39
ग्वाल महिमा अलख जगाई ।
पढ़ो लिखो सब ग्वाला भाई।।40

बेटी का सम्मान करें, दहेज प्रथा विरोध।
संगठित हो सेवा करें, दूर हटें अवरोध।।

डाॅ दशरथ मसानिया

matruadmin

Next Post

सद्भावना

Sun May 17 , 2020
कब यह हालात सुधरेंगे कब फिर से सब मिलेंगे कब दिनचर्या पहले सी होगी कब महामारी दूर होगी इस सबमे समय न गंवाओ जिस हाल में रख रहे प्रभु बस उसी में रहते जाओ जो वश में नही क्यो सोचते हो बेवजह चिंता में डूबते हो खुद को शांति से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।