#संध्या चतुर्वेदीअहमदाबाद (गुजरात)
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वो राम कहाँ से लाऊ अब
जो रावण का संघार करें।
सीता को हरने से पहले
रावण भी अपने मन मे,
सौ सौ बार विचार करें।
उस को था पता कि
राम जरूर आयेंगे ,
सीता को बचा ले जायेंगे।
नही करना था उस को
सीता को कलंकित
इसलिए कभी ना
हाथ छुआ
देवी की तरह रही पवित्र
रावण के भी आँगन में
कभी ना कोई जोर
अबला पर किया।
आज भूल गए है
की मर्यादा का
रावण ने भी सम्मान किया
कभी विषम परिस्थितियों में
भी उस ने अपनी
सीमा पार किया।
कलयुग के जो दानव है
रावण कहलाने योग्य नही ।
रावण ने कभी पलट
सीता पर कोई प्रहार किया।।
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