लोकतंत्र अर्थात् प्रजातंत्र,
प्रजा द्वारा चुने जाने का तंत्र..
प्रशासन के लिए चुनाव शासक का
जनता के लिए,जनता द्वारा ,जनता का।
स्वतंत्र हुआ देश तो गणतंत्र आया,
प्रजा का शासन लोकतंत्र कहलाया..
प्रजा चुनती योग्यता के आधार पर शासक
हर ओर प्रजा का राज्य छाया ।
प्राचीन काल में भी था लोकतंत्र,
पर राजा का होता था राज..
देश में,राज्य में होते थे मंत्री,
जिनके परामर्श से चलता था काम- काज।।
काल-परिस्थिति के अनुसार बदलता गया स्वरुप,
जीवन दर्शन बदला,सोच भी बदली
राजा का शासन बदला,जनता के विचार बदले और…
आ गया जनता का लोकतंत्र का रूप ।
आज़ादी के बाद 26 जनवरी 1950 को,
लागू हुआ भारत में गणतंत्र..
झूम-झूमकर नाची जनता,मिले अधिकार।
जनता का राज कहलाया गणतंत्र।
लोकतंत्र का उद्देश्य-देना नागरिकों को,
समानता का स्वतंत्रता का अधिकार..
जन-जन का करने कल्याण,
तत्पर हुई तब भारतीय सरकार।
संविधान ने दी जनता को बोलने की अभिव्यक्ति व जलसा करने के अधिकार,
नारियों को भी मिले स्वतंत्रता,शिक्षा के अधिकार..
अयोग्य शासक को पदच्युत करने मिले जनता को अधिकार।
धीरे-धीरे लेकिन नेता होते गए स्वार्थी ,
सच्चाई,ईमानदारी की लगी निकलने अर्थी..
दलगत राजनीति लगी अपना सिर उठाने,
भाई-भतीजावाद के आधार पर होने लगी भर्ती।
सत्तालोलुप नेता करने लगे मनमानी,
शासन को अपना समझ खिलौना लगे खेलने..
शिक्षित योग्य एक तरफ़ रहकर पछतातेo
हाथ मलते लगे पापड़ बेलने।
आतंकवादी लगे यहाँ फ़िर अपना सिर उठाने,
भरसक किया प्रयत्न देश की साख गिराने..
जनता जागी,खलबली मच गई
तैयार जनता नया नेता अपनाने।
लोकतंत्र ने लेकिन विज्ञान, औद्योगिक ,
शैक्षिक,सामाजिक,आर्थिक , तकनीकी में
हासिल कीं तमाम उपलब्धियाँ
भले लिप्त रहे नेता राजनीति में.
धर्म-साम्प्रदायिकता ऊँच- नीच को दूर किया
दिया जनता को एकता,भाईचारे- शांति का संदेश
कानून,नियम सभी के लिए बराबर , जनहित का ध्यान
कितना प्यारा-कितना न्यारा, लोकतांत्रिक हमारा देश।
गद्दारों का यहाँ नाम नहीं,काले धन का का नहीं काम,
मनमर्ज़ी करने वालों की है कसी गई लगाम बेईमानी,अकर्मण्यता का किया है काम तमाम..
भ्रूण हत्या पर पाबंदी,बहू-बेटियों का किया सुरक्षित धाम।
इंसानियत ज़िंदा है अभी भी अपने देश में,
लोकतंत्र खड़ा अभी भी ईमानदारी के वेश में..
ऊँचाई पर चढ़ने मार्ग प्रशस्त हो रहा, विकसित अपने देश में,
रहे तिरंगा ऊँचा सदा फहरता अपने देश में।
लोकतंत्र की सोच में रहे बढ़ता देश,
जनता का प्रतिनिधि समझे अपना परिवेश..
लोकतंत्र कायम रहे,बढ़ती रहे उपलब्धियाँ,
सुख-कायम रखे हमारा लोकतांत्रिक देश।
#रवि रश्मि ‘अनुभूति’
परिचय : दिल्ली में जन्मी रवि रश्मि ‘अनुभूति’ ने एमए और बीएड की शिक्षा ली है तथा इंस्टीट्यूट आॅफ़ जर्नलिज्म(नई दिल्ली) सहित अंबाला छावनी से पत्रकारिता कोर्स भी किया है। आपको महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार,पं. दीनदयाल पुरस्कार,मेलवीन पुरस्कार,पत्र लेखिका पुरस्कार,श्रेष्ठ काव्य एवं निबंध लेखन हेतु उत्तर भारतीय सर्वोदय मंडल के अतिरिक्त भारत जैन महामंडल योगदान संघ द्वारा भी पुरस्कृत-सम्मानित किया गया है। संपादन-लेखन से आपका गहरा नाता है।१९७१-७२ में पत्रिका का संपादन किया तो,देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कविताएँ, नाटक,लेख,विचार और समीक्षा आदि निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। आपने दूरदर्शन के लिए (निर्देशित नाटक ‘जागे बालक सारे’ का प्रसारण)भी कार्य किया है। इसी केन्द्र पर काव्य पाठ भी कर चुकी हैं। साक्षात्कार सहित रेडियो श्रीलंका के कार्यक्रमों में कहानी ‘चाँदनी जो रूठ गई, ‘कविताओं की कीमत’ और ‘मुस्कुराहटें'(प्रथम पुरस्कार) तथा अन्य लेखों का प्रसारण भी आपके नाम है। समस्तीपुर से ‘साहित्य शिरोमणि’ और प्रतापगढ़ से ‘साहित्य श्री’ की उपाधि भी मिली है। अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा ‘वुमन आॅफ़ दी इयर’ की भी उपाधि मिली है। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में प्राचीरों के पार तथा धुन प्रमुख है। आप गृहिणी के साथ ही अच्छी मंच संचालक और कई खेलों की बहुत अच्छी खिलाड़ी भी रही हैं।