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इस शहर में कैसी छाई विरानी है |
गली मोहल्ले सडको में सुनसानी है ||
अपने ही छल रहे है अपनों को |
ये आपस में कैसी बेईमानी है ||
भेज रहे है आश्रम मे बूढों को |
ये बच्चो की कैसी शैतानी है ||
दे रहा है सबको वह खाने पीने को |
ये ऊपर वाले की कैसी मेहरबानी है ||
मिला रही महबूबा निगाहों को |
ये कैसी प्यार की निशानी है ||
निराशा बुला रही है आशा को |
ये आपस में कैसी कहानी है ||
लिख रहा राम मन के भावो को |
ये गजल है या कोई कहानी है ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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