तमन्ना है हमारी,हो अमन अपनी निज़ामत में।
चलें मिल हमवतन ग़ुज़रें नहीं दिन भी ज़लालत में।-01
बिकाऊ हो अगर मुंसिफ करें फरियाद क्या उससे,
भला हाँसिल भी होगा क्या,कि जायें क्यों अदालत में।-02
यकीं किस पर करें अब तो फ़रेबी हैं यहाँँ अपने,
हुआ धोखा तभी जाना,अभी तक थे शराफत में।-03
यकीनन वो करें बदतर,भला जिसका किया हो तो,
हवा ऐसी बने अपने उतर आते बग़ावत में।-04
अगर हम खानदानी हैं,बताने की जरूरत क्या,
तज़ुर्वा ये ख़यानत वो नहीं चाहे अमानत में।-05
ज़ुदा दिल औ ज़ुवां में जब,यकीं लायक नहीं ये तो,
यही किस्सा चला इस दौर में अब यार भारत में।-06
समंदर है वो खारा “ध्रुव” रहेगा दोस्ती बदतर,
नही उम्मीद हो बहतर,कमीं आए गिरावट में।-07
#प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’
परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है। यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।