कुछ हमने कहाँ,
कुछ उनने कहाँ।
बातो का सिलसिला,
यही से शुरू हुआ।
अब तो रोज बाते,
हमदोनो करते है।
दिलकी लगी को,
दिलसे मिलते है।
और अपास में,
प्यार बहाते है।
अब हाल ये है,
की उन्हें देखे बिना ?
अब रह नही सकते,
इसलिए रोज मिलते है।
और डूब जाते है,
प्यार के सागर में।
जहां प्यार ही प्यार,
हमेशा बरसता है।
और पता नही चलता,
कि कब दिन ढल गया।
दिलमें फूल खिलते है,
एकदूजे के लिए मचलते है।
इसलिए मोहब्बत के दीप,
दिल में जलते है।
जिससे प्यारकी दुनियाँ,
जगमगा उठती है।
और प्रेमी जोड़ो में,
राधाकृष्ण ही दिखता है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।