कमल की कलम का जयघोष- ‘साहित्यमेव जयते’

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21 नए कहानीकार होंगे सुस्थापित!

इंदौर। भाषा-संशय-शोधन एवं हिन्दी-व्याकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करते हुए मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव एवं आईटीबीपी में उप सेनानी कमलेश कमल द्वारा साहित्य के नव-पल्लव कहानीकारों को आगे लाने का एक अभिनव प्रयास किया जा रहा है। ‘कमल की कलम’ के माध्यम से नवोदित कलमों को सींचने के इस मुहिम के अन्तर्गत पहली कड़ी में 21 प्रतिभावान् कहानीकारों की कहानियों को प्रकाशित किया जाएगा। ’21वीं सदी के पूर्वार्द्ध की 21 प्रतिनिधि कहानियाँ’ शीर्षक से आने वाली पुस्तक में नई कलमों को जगह मिले, इस हेतु जवाहर नवोदय विद्यालय से शिक्षा प्राप्त अथवा वर्तमान में वहाँ शिक्षारत छात्र-छात्राओं के लिए भी स्थान सुरक्षित रखा गया है।

ज्ञात रहे कि कमलेश कमल का पहला उपन्यास ‘ऑपेरशन बस्तर : प्रेम और जंग’ अपनी प्रीबुकिंग में ही अमेज़ॉन की बेस्ट सेलर सूची में तीसरे एवं हिन्दी में पहले पायदान पर रही है। कमलेश कमल का कहना है- ‘जो साहित्य से हासिल किया वह साहित्य को लौटना है’ और इसी कड़ी में 21 कहानीकारों की 21वीं सदी के पूर्वार्ध्द की कहानियों का संग्रह उनके संपादन में आएगा।
इस संग्रह में आज का भारत, आज का समाज, आज की समस्याएँ, नारी विमर्श, दलित चिंतन, आदिवासी समाज, ग्रामीण अंचल, विश्वविद्यालयी जीवन, विद्यालयी जीवन, सहजीवन, वेश्यावृत्ति, ट्रांसजेंडर, चॉल, झुग्गी, ड्रग्स, यौन उत्पीड़न जैसे विषयों पर कहानी हो सकती है। इस प्रतिष्ठित संग्रह हेतु कहानीकारों को कहानी मेल kamalkeekalam@gmail.com पर 31 जनवरी तक भेजनी होगी। चयनित कहानीकार जहाँ साहित्य की दुनिया में सुस्थापित होंगे, वहीं उन्हें नगद पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा।
कमलेश कमल के इस अभिनव प्रयास हेतु मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.अर्पण जैन अविचल एवं समस्त हिन्दी योद्धाओं ने शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।