जिन्हें हम ढूढ़ रहे,
रात के अंधेरों में।
वो तो बसते है,
हमारे दिल के अंदर।
कैसे लोग समझ,
नही पाते उन्हें।
जबकि वो होते है,
सदैव हमारे अंदर।।
मन की लगी आग को,
कैसे तन से बुझाओगे।
कुछ उनके कहे बिना,
कैसे समझ पाओगे।
यदि दिलसे उनके हो,
तो उनको समझ जाओगे।
और उनसे मिलने को,
उनके पास जाओगे।।
जिंदगी का चित्रण,
कैसे में व्या करू।
चित्र खुद कहता है,
कहानी जीवन की।
न समझे यदि चित्रको
तो बेकार है चित्रकारी।
और जो समझते है,
वो ही प्यार करते है।
और जिंदगी के अंधेरों को,
रोशन से भर देते है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।