भ्रष्टाचार आज देश की है,हकीकत,
इसने मेरे देश का किया है रूप,विकृत l
कभी अपराधी बन के नेता तो,
कभी अभिनेता बन के नेता बताते हैं
अपनी असली,फितरत l
कला और प्रतिभा एक कोने में छिप जाती है,
धन ही दिखाता है अपनी असली,मूरत l
ऊपर का हो या नीचे का हो,
अपनी जेब भरना ही है सबकी पहली,जरूरत l
स्विस के बैंक को भर रखती है,
मेरे देश की हर सियासी,मूरत l
इतना विकृत कर दिया है,
मेरे देश के रूप को
अब परिचय देना मुश्किल हो गया है,
कौन-सी है मेरे देश की असली,सूरत l
हजारों योजनाएं निकल के बंद,
हो जाती है कागजों में
अब ये ही बन गई है मेरे देश की,हकीकत l
बेच के देश मेरा अब,
बिकना ही बना दी है देश की मेरी,कुदरत l
आज देश की इस सूरत को,
देख के लिख रही हूं ये,हकीकत l
विनती करती हूं हो सके तो,
बचा लेना देश के रूप को मेरे,
जो हो रहा है बहुत,विकृत ll
परिचय: आरती जैन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर में रहती है। आपने अंग्रेजी साहित्य में एमए और बीएड भी किया हुआ है। लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई दूर करना है।