ना हिंदू, ना मुस्लिम, ना मिश्रा, ना मरा पठान है..
आज फिर से मर गया देश का आम इंसान हैं..
मेरे अपनों ने दिल्ली में इतना मचाया बवाल….
चला गया मेरे देश का बेटा “रतनलाल” …
क्या बीत रही होगी इस परिवार पर…
जिनका सहारा छोड़ गया इन्हें मझधार पर…
सोचा ना था दिल्ली में यूं घमासान मच जाएगा..
देश का दिल दिल्ली जैसे आंतकिस्तान बन जाएगा..
जो आपस में लड़वाते वो नेता बैठे बंद भवन में..
लड़ने वाले हम तुम हैं ,जो फंस बैठे बीच भंवर में..
फौजी अभिनंदन को हम,पाकिस्तान से ले आए थे…
दुश्मन से लड़ कर भी अपना अभिमान ले आए थे
एक बेटे रतनलाल को हम अपनों में ही खो बैठे..
इनके परिवार की आंखों का हर सपना धो बैठे…
दिल्ली दिल वालों की है सच ये कहावत हो जाए..
अमन शांति वाला मेरा फिर से भारत हो जाए…
#सचिन राणा “हीरो”
हरिद्वार उत्तराखंड