ये देश तरक्की वाला है
बीमार को दवा न मिलती
पग पग पर मधुशाला है
ये देश तरक्की वाला है
हाय हाय गरीब कर रहे
पल पल असहाय मर रहे
जहां तहां सिहर कहर रहे
कौन सुनने वाला है
ये देश तरक्की वाला है
दण्डित गुनहगार नही है
अपनो से अब प्यार नही है
खुशियो का त्यौहार नही है
छिनता रहा निवाला है
ये देश तरक्की वाला है
पढ लिखकर ठोकर खाते है
युवा नही काम पाते है
सब ताडना सह जाते है
सबकुछ गडबड झाला है
ये देश तरक्की वाला है
मोझ दायिनी स्वयं दुखित है
देख दुर्दशा आज दुखित है
गंदगी से खुद ही पीडित है
जल का कौन रखवाला है
ये देश तरक्की वाला है
मां बाप का मान न करते
हम अपने को बडा समझते
नये विवाद मे रोज उलझते
सम्मान नही जिसने पाला है
ये देश तरक्की वाला है
सब मान मर्यादा भूले
झूठ गुमान मे फिरते फूले
कृत्रिम हो रहे हम है भूले
दिखावा का जाला है
ये देश तरक्की वाला है
विन्ध्यप्रकाश मिश्र
नरई संग्रामगढ प्रतापगढ उ प्र