सर्वेक्षण पृष्ठ पर हिन्दी भाषा ही नहीं

0 0
Read Time3 Minute, 9 Second
cropped-cropped-finaltry002-1.png
मुझे स्टार एलायंस की ओर से एक ई-मेल प्राप्त हुआ,जिसमें उन्होंने मुझसे मेरी पिछली हवाई यात्रा के अनुभव के बारे में कुछ प्रश्नों के उत्तर देने का अनुरोध किया था। स्टार एलायंस विमान कंपनियों का एक गठबंधन-समूह है,जिसमें एयर इंडिया सहित विश्व की अनेक विमान कंपनियां शामिल हैंl जब मैं सर्वेक्षण पृष्ठ पर पहुंचा,तो मैंने देखा कि वहां अरबी,तुर्की,चीनी,जापानी,कोरियाई,थाई,पुर्तगाली आदि विभिन्न भाषाओं में सर्वेक्षण के प्रश्न पढ़ने और उत्तर देने का विकल्प उपलब्ध है,किन्तु उस सूची में हिन्दी या भारत की कोई भी भाषा नहीं थी।
अतः मैंने सर्वेक्षण के किसी भी प्रश्न का उत्तर देना अस्वीकार करते हुए स्टार एलायंस को ई-मेल द्वारा यह जवाब भेजा है कि,मैं सर्वेक्षण में भाग लेना चाहता था,किन्तु मेरी प्राथमिक भाषा हिन्दी का विकल्प उपलब्ध न होने के कारण मैं किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दूंगा। मैंने उन्हें यह ई-मेल अंग्रेज़ी में ही भेजा है,ताकि वे यह स्पष्ट रूप से समझ जाएं कि मैं अंग्रेज़ी भाषा जानता हूँl  इसका अर्थ ये नहीं है कि,मैं सारे काम अंग्रेज़ी में करता हूं या यदि वे सारी सामग्री अंग्रेज़ी में भेजेंगे,तब भी मैं स्वीकार कर लूंगा।
चूंकि भारत की राष्ट्रीय विमान कंपनी एयर इंडिया भी स्टार एलायंस की सदस्य है,इसलिए निश्चित रूप से हिन्दी का विकल्प इसमें अवश्य ही उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। दुखद है कि,अपने ही देश की सरकारी कंपनियां और संस्थाएं भी अपनी भाषा के प्रति आग्रही नहीं हैं।
मेरा सभी से अनुरोध है कि,यदि किसी भी प्रकार के सर्वेक्षण-फीडबैक के लिए कोई भी कंपनी आपसे संपर्क करती है,और आप उसमें भाग लेना चाहते हैं,तो यह अवश्य देखें कि उसमें हिन्दी का विकल्प भी उपलब्ध हो। यदि हिन्दी का विकल्प उपलब्ध नहीं है और आप अंग्रेज़ी में उत्तर देना भी चाहें,तो भी अनुरोध है कि उत्तर देने के साथ-साथ कंपनी को यह भी सूचित करें कि आप भविष्य में ऐसे सर्वेक्षणों के लिए हिन्दी भाषा का विकल्प भी चाहते हैं।
(वैश्विक हिन्दी सम्मेलन)
                                                                                               #सुमंत विद्वांस

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

फिर उगते दरख़्त

Thu Apr 20 , 2017
टूटकर फिर उगते दरख़्त। उग कर फिर टूटते दरख़्त।। हर मुश्किल से जूझते दरख़्त। आसमां को चूमते दरख़्त।। सर उठाए  झूमते दरख़्त। सर झुकाए जमीं को चूमते दरख़्त।। ज़मीन को न छोड़ते दरख़्त। नहीं किसी को ढूंढते दरख़्त।।   नहीं किसी को छोड़ते दरख़्त। चाहतों की छांव से लुभाते दरख़्त।। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।