
इंदौर।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी साहित्य के नक्षत्र 95वें वर्षीय साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र जी को दिल्ली में हिन्दी गौरव सम्मान दिया गया।
आपने संस्थान के प्रकल्प हिन्दीग्राम के बारे में विस्तार से जाना तथा यह भी जानना चाहा कि विश्व रिकॉर्ड किस तरह संभव हो सका।
आपने जहाँ संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव श्री कमलेश कमल की चर्चित पुस्तक ‘ऑपेरशन बस्तर : प्रेम और जंग’ के लिए उन्हें आशीष दिया, वहीं उनकी आगामी पुस्तक ‘दुःख – एक जीवन साथी’ के मनोवैज्ञानिक निबंधों को तक़रीबन घण्टे भर भावविभोर होकर पढ़ा और सुना। आपने उक्त पुस्तक की भूमिका भी लिखी है।
साहित्य अकादमी, भारत-भूषण, शलाका सम्मान आदि लगभग सभी सम्मानों से सम्मानित होने वाले साहित्य के इस मूर्द्धन्य सितारे का स्नेह मातृभाषा उन्नयन संस्थान को मिलना, 11 लाख सदस्यों के लिए गौरव की बात है।
इस अवसर पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, राष्ट्रीय महासचिव कमलेश कमल एवं मंजुली प्रकाशन के निदेशक सुमित भार्गव आदि हिंदी योद्धा उपस्थित रहे।
ज्ञात हो कि डॉ. रामदरश मिश्र जी के साहित्य पर सैकड़ों लोग शोध कर चुके हैं। हजारों-लाखों हिंदी साहित्यकारों की प्रेरणा डॉ मिश्र सरल स्वभावी हैं। आपने मातृभाषा उन्नयन संस्थान की वर्तमान उपलब्धि विश्वकीर्तिमान के लिए संस्थान को बधाई दी एवं हिन्दी सेवी कार्यों की खूब प्रशंसा की।