*मन की बात* नशा निषेध विशेषांक का दूसरे अंक का विमोचन 29 जून को संपन्न

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साहित्य संगम संस्थान दिल्ली की ई पत्रिका *मन की बात* नशा निषेध विशेषांक का दूसरे अंक का विमोचन 29 जून को साहित्य संगम संस्थान के मुख्य पटल पर  आदरणीय नवल किशोर जी द्वारा भक्ति काल में किया गया।  यह पत्रिका किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने का संदेश विभिन्न आयामों द्वारा देती है।
इस पत्रिका में सम्मिलित सभी रचनाएँ,  “जो विभिन्न ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों द्वारा रचित है” नशा रोकने का  आव्हान तो  कर  ही रही है वहीं  नशे में गाफिल रह कर अपना विनाश करने वाले लोगों के लिए  सीख भी दे रही हैं,  कि नशे से होने वाली हानियों को पहचानों और नशे से दूर रहकर अपना और अपने परिवार का कल्याण करो।  साथ ही देश को नशा मुक्त करने में अपना योगदान भी दो।
पत्रिका में प्रतिभागियों के रूप में आदरणीय छगनलाल “विज्ञ”,  आदरणीय अनिता मंदिलवार ” सपना “, आदरणीय पंकज चंदेल” प्रसून”,  ऋतु गोयल “सरगम”,  अलका जैन,  नीलिमा तिग्गा ” नीलांबरी”, राजेश शर्मा “पुरोहित” शिवकुमार लिल्हारे “अमन” सरिता श्रीवास्तव,  रामजस त्रिपाठी “नारायण” हरीश बिष्ट,  गीतांजलि वार्ष्णेय,  छाया सक्सैना “प्रभु” रवि रश्मि “अनुभूति”,  रूचि तिवारी,  गीता गुप्ता” मन”, राजकुमार सिंह “राज” बृजेश पांडेय “विभात”, मनोज कुमार सामरिया” मनु” इन्दु शर्मा शचि,  लता खरे,  दीप्ति शर्मा,  कल्पना “खूबसूरत खयाल” नवीन कुमार भट्ट “नीर” ने अपनी रचनाओं से समाज को नशे से मुक्त रहने का संदेश दिया है।
पत्रिका के अंतिम पृष्ठों में साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा प्रकाशित अन्य पत्रिकाओं की झलकियाँ भी सम्मिलित की गई है।
इस ई-पत्रिका की समीक्षा साहित्य संगम संस्थान के साहित्यकारों ने की।  छाया सक्सेना प्रभु,  संदीप कुमार मिश्रा,  गीता गुप्ता मन,  इंदु शर्मा शचि,  नीलिमा तिग्गा,  छगनलाल विज्ञ,  सुनील कुमार “अवधिया”,  अनिता मंदिलवार” सपना ” अलका जैन,  रवि रश्मि “अनुभूति” राजेन्द्र प्रसाद पटेल”रंजन”,  रामजस त्रिपाठी “नारायण” भावना दीक्षित,  ने समीक्षा कार्य में प्रतिभागिता की,  नशे के दुष्परिणाम बताते हुए नशा छोड़ने के लिए स्वयं समाज को प्रेरित किया, और इस प्रयास को नशा छोड़ना के लिए प्रेरित करने का सराहनीय कदम बताया।
इन सभी रचनाकारों के प्रयास का भावना दीक्षित,  कल्पना कुशवाह,  छाया सक्सेना,  संदीप कुमार मिश्रा,  महिमा दुबे,  नीलिमा तिग्गा,  गीता गुप्ता,  अलका जैन,  छगनलाल विज्ञ,   एवं अन्य कई विद्जनो ने अपनी टिप्पणियों द्वारा उत्साहित किया।
मंच का संचालन आदरणीय महिमा दुबे जी द्वारा किया गया।
पत्रिका का  सम्पादकीय,   सहसम्पादकीय,  अध्यक्ष श्री राजवीर जी का अध्यक्षीय बहुत प्रेरक व  ध्वनित अभिव्यक्ति है।

पत्रिका नित नये सोपानों को तय करती हुई समाज में जनजागृति की अलख जगा रही है।
डॉ भावना दीक्षित
जबलपुर

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।