वो भी क्या समय था,जब सारा दिन हम तेरी यादो में खोया करते थे।
वो भी क्या रातें थी,जब हम तेरी यादों के बिछौने पर सोया करते थे।।
जब हम मिले थे,आसमां ने भी खुशियों के मोती हम पर बरसाए थे।
एक-दूसरे की बाँहों में हम,जीवन बिताने के सपने संजोया करते थे।।
काश तुम इस जमाने की बातों से ज्यादा,मेरे प्रेम पर विश्वास कर लेती।
लोगों द्वारा रचे गए षडयंत्र का,हल्का-सा भी आभास कर लेती।।
तुम्हारे-हमारे दरमियां इस तरह,ये फासलों की दीवार खड़ी नहीं होतीं।
अगर तुम मेरी अनकही बातों का, अपने दिल में अहसास कर लेती।।
अब भी तुम्हें तन्हाई में अक्सर,मेरी याद तो आया करती होगी।
उन रुहानी बातों की यादें,तेरी पलकों को भिगाया करती होगी।।
अक्सर तुम्हारी पलकें जब रुदन करके,थक जाया करती होंगी।
तब तुम उस टेडी बियर को,तकिया बनाकर सो जाया करती होंगी।।
मेरे लिखे वो सन्देश जो,तुमनेे बिना पढ़े या पढ़कर मिटाए हैं।
रात भर तुम्हारी यादों में,मेरी आँखों ने अश्क बहुत बहाए हैं।।
जरा सोंचो उन हसीन यादगार,लम्हों की पुरानी बातों को।
अपने दिल की दहलीज पर बैठकर अक्सर,हम बहुत पछताए हैं।।
#सौरभ जैन(उज्जवल)
परिचय : रचनाकार बनाने की दिशा में सौरभ जैन का प्रयास जारी है। रामपुर मनिहारिन( जिला-सहारनपुर) के निवासी हैं और बी.कॉम.कर लिया है। २२ वर्ष के सौरभ शायरी व छंदमुक्त काव्य रचना को अधिक पसंद करते हैं।
जिंदाबाद बहुत अच्छे सौरभ जी मुझको ये बहुत पसंद आई है
– कवि रजत राव