
जीना मरना तेरे संग है।
तो क्यो और के बारे में सोचना।
मिला है तुम से इतना प्यार।
तो क्यो गम को गले लगाना।
और हंसती खिलखिलाती जिंदगी,
को भला क्यो रुलाना।
अरे बहुत मिले होंगे
तुम्हे प्यार करने वाले।
पर दिल से मोहब्बत
करने वाला में ही होगा।।
आज दिल कुछ उदास है।
चेहरे पर भी
उदासी का राज है।
कैसे कहूँ में बिना देखे दिल मानता नही है।
इसलिए कब से बैठा हूँ,
तेरे दीदार के लिए।
पर तुम हो जो,
नजर ही नही आ रहे।
इसलिए आंखे और
दिल दोनों उदास है।।
तुझे क्या कहूँ में अब,
कुछ तो तुम्ही बता दो।
उदास दिल मे,
कोई दीप जला दो।
और दिल के अँधेरेपन,
को तुम जगमगा दो।
और वर्षो की प्यास को,
आज बुझा दो।
और अपने दिल की,
आवाज़ को हमे सुना दो।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
06/11/2019
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।