राम केवल नाम नही
राम जीवन का आधार है।
राम है संस्कृति हमारी
राम जड़ चेतन का व्यापक
विस्तार है।
उद्घोष जय श्री राम का
संचरण ऊर्जा का उदगार है
जिसे लगता युद्धघोष यह
वो विक्षुब्ध एक विकार है।
हिंसा को तुम धर्म से जोड़े
जिसका आधार आहिंसा परमो धर्म: है,
मानवता का त्रास हरा जिस राम
ने,मर्यादा जिनका मर्म है।
जिस राम ने शबरी के जुठे बेर को
खाया था
हंसते हुए केंवट को अपना मित्र जिन्होंने बनाया था।
रावण दहन सत्य की जीत असत्य की हार है
राम ही प्रेरणा जीवन का सन्मार्ग है।
नफरत के बीज जातीयता से फलते हैं
राम जन जन के हृदय में बसते हैं।
राम भारत की संस्कृति है
राममय संसार है
राम जगत के पालनहार
राम ही करतार है।
#अविनाश तिवारी
जांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)