एक डरावनी अहसास की रात

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आज की रात भी अन्य दिनों की तरह हसीन था मैं अपने नींद को लेने यु बिस्तर पे आया था ये कहानी एक अहसास है। आज हम जब 1 बजे उठे पानी पीने के लिए तो हम देखे जग में पानी नही था फिर हम गेट के खोल के पानी पीने के लिए गए हवा तेज चल रहा था अमरूद के पेड़ के पास कपड़ा था जो हिल रहा था हम उस को देख रहे थे कि क्या है फिर जग में पानी भरे और जैसे रूम के गेट के पास पहुचे तो हवा तेज चला और हम जोर से भाग गए रूम में उस के बाद थोड़ा देर पढ़ाई किये फिर 2:30 थोड़ा थोड़ा नींद आने लगा तो सोने के लिए बिस्तर में घुस गए तो ठंड लगने लगा तो मैंने अपना टोपी निकाला और पहन के सो गए फिर थोड़ी देर बाद ठंडा चेहरे पे लगने लगा तो हम अपना सिर ढक के रजाई ओढ़ के सो गएे तो सांस रुकने लगा तो बाहर निकाल कर चेहरा सो गए तो फिर वही हुआ ठंड लगने लगा और हम ने बीच का रास्ता निकाला फेस भी ढक लिया और सांस का भी जुगाड़ कर लिया जैसे खिड़की में थोड़ा सा खोल के बाहर देखते है बस नाक ओर आँख बाहर दिखता है मैन भी वैसा ही किया और जैसे ही सोया था कि वैसे की मेरी मौसी की सकल की एक औरत आई और बोली कैसे हो मेरे कुछ बोलने से पहले ही दोनों पैर खटिया पे रखी और दोनों हाथ मेरे ऊपर रख के दबाने लगी और मैं अपने ताकत का प्रयोग करने लगा लेकिन मैं हार गया और वो मुझे जोर से दबाने लगी मैंने काफी लोगो का नाम लिया सायद उस का दबाव कम हो जाये लेकिन ऐसा हुआ नही और वो जोर से दबाने लगी मैं अंदर से डर गया था बहुत ज्यादा फिर क्या करता जिस दम से उस ने दबाया था उस के दम को सहने लगा उसे कहते है जब कोई न आये बचाने तो एक ही नाम याद आता हे जै बजरंग बली कयु की वही है जिन से महिला भूत डरती है उन का नाम ले के हाथ बाहर निकाला जहा पे दबाया था उस ने मैन वहां हाथ लगाया और ऐसा लगा मैन उस का अंगूठा पकड़ लिया है उस के उगली को जोर से घुमाया ओर ऐसा लगा वो हट गई है तो बिस्तर हल्का हो गया है मैं बाहर फेस निकाला और हँसने लगा कि लगता है जोर से उस का अंगूठा घुमा दिए है, और तब से लेकर अभी तक मुझे नींद नही आ रही है उस पगली की याद में ओर उस की याद ज्यादा आने लगा तो मैं अपने बिस्तर ने निकल के उस का इंतजार कर रहा हु कही वो फिर से न आ जाये मेरा पीठ दबाने के लिए ऐसी लिए बैठा हूँ बिस्तर पे पैर डाल के कही फिर न आ जाये अब आये गई तो पैर ही दबा दे गी।

अब कौन बताये उस पगली को की उस की याद में मुझे नींद नही आ रही है तब से ले के अभी तक बैठा हूँ उस को याद कर के बिस्तर में की अब आये गी तो पैर ही दबा दे गी। ओर अब मुझे सूरज का इंतजार है कि मैं रूम से बाहर निकल सकू उस सूरज के सामने ….

#राहुल चौधरी

परिचय: राहुल चौधरी जी की जन्मतिथि 19 जनवरी 1995 और जन्मस्थली रामनगर-वाराणसी है। पिताश्री राजेश कुमार एवं माताश्री सुमन देवी के लाडले सुपुत्र श्री चौधरी साहब कोमल हृदय एवं धनी व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। रामनगर से ही इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से स्नातक किया। इसके अलावा एनसीसी,एन०एस०एस० और स्काउट गाइड की भी शिक्षा प्राप्त की। लेखन कार्य,बैटमिंटल और कैरम के शौकीन श्री चौधरी जी की विधाएं कविता एवं लघुकथाएं हैं। वर्तमान समय में आपका कार्यक्षेत्र अध्यापन, लेखन के साथ-साथ डीएलएड (बीटीसी) के क्षेत्र में कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।