करवाचौथ पर मेरे पति

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भला है,बुरा है,मेरा पति मेरा सुहाग मेरा ख़िताब तो है
भले ही पन्ने पुराने हो, वो मेरे दिल की किताब तो है

क्यों निहारु दूर के चाँद को,जब मेरा चाँद मेरे पास है
करता है मेरी पूरी तमन्ना,यही मेरे जीवन की आस है

ये चंदा तो रोज घटता बढ़ता,कभी छुप जाता है आकाश में
मेरा चंदा मेरे पास रहता,कभी न जाता किसी के आगोश में

सिन्दूर भी मेरा,बिछ्वे भी मेरे,चूड़ियों की खनकार भी है
मंगल सूत्र भी मेरा,बिंदिया भी मेरी,पायल की झंकार भी है

कहने को कही जाती है,करवांचौथ में एक पूरानी कहानी
पर अबकी बार सुनी है,कारवाँचौथ में मी टू की नई कहानी

रखती है अब तो करवांचौथ का व्रत नई पीढ़ी की बिन ब्याही भी
बयूटी पार्लर में जाकर सुहागन बनकर आ रही है गर्ल फ्रेंड भी

समय बदल रहा,त्योहारों बदल रहे सुनते है एक अजीब कहानी
रख रही हूँ मै तो व्रत उनके लिये जिसके साथ बिता रही जवानी

आर के रस्तोगी

matruadmin

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।