Read Time2 Minute, 50 Second
मातृभाषा है हिन्दी मेरी,मेरे भारत का अभिमान।
बावन अक्षर इसमें प्यारे,करते हैं हम
सब सम्मान॥
बारह खड़ी की अद्भुत रचना,क से ज्ञ तक व्यंजन जान।
स्वर की महिमा बड़ी अनोखी,प्राकृत का होता है ज्ञान॥
स्वर,व्यंजन व व्याकरण मिल के,बनते हैं फिर छंद महान।
गीत मनहरण दोहे प्यारे,रचते हैं हिन्दी की शान॥
गर्व करें हम भारतवासी,संस्कृत भाषा गुण की खान।
हिन्दी की जननी महतारी,पाली की है सखी समान॥
अंग्रेजी के कारण इसकी,होती है दुर्दशा कुमान।
अपने देश पराई रहती,मिलता नहीं पूर्ण सम्मान॥
गीत सुरों की महिमा न्यारी,बंशी की मीठी है तान।
ताल मृदंगम् बजत अनोखी,घुँघरु बाजत है सुर जान॥
प्रेम प्रीत में मीठ बोली है,करते जन इसका गुणगान।
हिन्दी बिना सरिता अधूरी,बसते इसमें उसके प्राण॥
हम सब भारत देश के वासी,संग करें हिन्दी उत्थान।
विश्व पटल पर नाम हमारा,पहुँचे भारत देश महान॥
#सरिता सिंघई ‘कोहिनूर’
परिचय : श्रीमति सरिता सिंघई का उपनाम ‘कोहिनूर’ है। आपका उद्देश्य माँ शारदा की सेवा के ज़रिए राष्ट्र जन में चेतना का प्रसार करना है।उपलब्धि यही है कि,राष्ट्रीय मंच से काव्यपाठ किया है। शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र) है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के वारासिवनी बालाघाट में निवास है। जन्म स्थान नरसिंहपुर है। गीत,गज़ल,गीतिका,मुक्तक,दोहा,रोला,सोरठा,रुबाई,सवैया,चौपाईयाँ,कुंडलियाँ ,समस्त छंद,हाइकू,महिया सहित कहानी ,लेख,संस्मरण आदि लगभग समस्त साहित्य विद्या में आप लिखती हैं और कई प्रकाशित भी हैं। आपकी रूचि गायन के साथ ही लेखन,राजनीति, समाजसेवा, वाहन चालन,दुनिया को हंसाना,जी भर के खुद जीना,भारत में चल रही कुव्यवस्थाओं के प्रति चिंतन कर सार्थक दिशा देने में है। पूर्व पार्षद होने के नाते अब भी भाजापा में नगर मंत्री पद पर सक्रिय हैं। अन्य सामाजिक और साहित्यिक संगठनों से भी जुड़ी हुई हैं।
Post Views:
649