चारो तरफ हाहाकार मचा है,
दुखो का दौर अभी बाकी हैं।
अभी तो केवल ट्रेलर देखा है,
पूरी फिल्म देखना बाकी हैं।।
अस्पतालों का है बुरा हाल,
डॉक्टर नर्स नहीं मिलते हैं।
जरूरी दवाओं की बात छोड़ो
मास्क दस्ताने नहीं मिलते हैं।
बढ़ते जा रहे रोज है मरीज,
लाखो में संख्या है पहुंच गई।
कैसे होगा इनका अब इलाज,
ये समस्या अब गंभीर हो गई।
खुल गई पोलपट्टी नेताओ की
जो मीठे मीठे भाषण देते थे ।
जनता को नए स्वप्न दिखाकर
केवल अपनी ही जेबे भरते थे
एक तरफ कोरोना फैला है,
दूसरी तरफ बाढ़ आईं है।
कर न सकी प्रबन्ध सरकारें,
ये कैसी मुसीबत अब आई है।
दिखा रहा है आंखे चीन एक तरफ,
दूसरी तरफ पाक आतंकी है भेज रहा।
दोनों से राेंज मुठभेड़ होती हैं
परिणाम कुछ भी न निकल रहा।
कहीं हो रही कुर्सी के लिए खींचतान,
कहीं झूठे सच्चे दावे पेश हो रहे।
कहीं लेे रहे है होटलों मै मज़े नेता,
कहीं लोग भूखे देश में मर रहे।।
इससे ज्यादा क्या और लिखे रस्तोगी,
जो देखा सुना वह अब लिख रहा।
अब तो भगवान मालिक इस देश का,
जो मुसीबतों के दौर से गुजर रहा।।
रस्तोगी और क्या कराए देश के दर्शन,
जो देख रहा है वह देश के दर्पण में।
दर्पण कभी भी झूठ नही बोलता ,
जो आया सामने उसके अर्पण में।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम