हर वर्ष दशानन का दहन
हैं होता
पर वो तो
मानव के मन में जीवित
अमरता हैं लियें हुए
वो तो एक अपराध(पाप)कर
घोर अपराधी(पापी)घोषित हुआ
हम नित प्रति ही
अपराध हैं करते
और मासूम ही रहते
उस दशानन को भी है इंतेज़ार
कब होगा कलयुग में
राम अवतार
जो कर सके
ईष्या, द्वेष, लोभ,मोह
और भष्टाचार व पापियों
का संहार
जीवन भर त्यागी बन कर
राम रहे महलों में
पीड़ा सहकर भी
धैर्य और कर्म निभाया
मर्यादा न छोड़ी
मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए
वो दशानन भी सोचे
यहां तो घर घर में रावण
राम कहीं न पाऊं
फिर भी हर एक ये सोचे
जला रावण को
विजय मैं हो जाऊं। ।
#शालिनी खरे
परिचय- नाम :-शालिनी खरेपति :-श्री शैलेन्द्र खरे शिक्षा :-एम.ए (हिन्दी साहित्य )लेखन विधाएँ :-कहानी/कविता/लेख/लघुकथा/बाल साहित्य/ व्यंग्यप्रकाशन:-विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।प्रकाशित कृति:-“चाँदी के मोती ” (काव्य संग्रह)प्रसारण:-आकाशवाणी, भोपाल,दूरदर्शन भोपालसम्मान:-पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी शिलांग(मेघालय)द्वारा “डॉ.महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान”-2017“साहित्य समीर दस्तक”,भोपाल द्वारा “साहित्य गौरव, सम्मान 2017 विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा “नारी सागर सम्मान”,के.बी.हिन्दी साहित्य समिति बिसौली बदायूँ उ.प्र.द्वारा “कीर्ति चौधरी स्मृति सम्मान सम्मान”2018विशेष:-बच्चों के प्रोत्साहन हेतु स्कूलों में कार्यशालास्कूलों में कार्यशाला में निणार्यक की भूमिकापता:- भोपाल (मध्यप्रदेश)