
पाँलीथिन यहाँ होता,
बया के घोंसले बसते।
गई चीलें कहाँ बोलो,
यहाँ थे गिद्ध जो रहते।
मिटाता वंश पालीथिन,
गये पशु जान से मारे।
धरा ज्यों ढँक रही मानो,
करो भी मुक्त अब कहते।
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कहे सरकार अब ऐसे,
बचाओ आज धरती को।
दिखे अब से न पाँलीथिन,
बनालो स्वच्छ जगती को।
रखो इससे सदा दूरी,
न पालीथिन कहीं दीखे।
उठा सौगन्ध कहते है,
बचानी आप धरती को।
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मिटाओ नाम पाँलीथिन,
घरेलू काम से अपने।
उठा के भेजिये उसको,
बना कचरा अभी खपने।
बनाओ मुक्त पाँलीथिन,
धरा,अब स्वच्छ है रखनी।
जगत कल्याण की सोचे,
सफल होंगे तभी सपने।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः 10