आदि भवानी मात, वही दुर्गे नव रूपा।
भजते जो मन भाव,भिखारी जन या भूपा।
नौ दिन के नौ रूप, धरे सुन्दर जग माता।
महा पर्व नवरात्रि, दशहरे पहले आता।
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श्राद्धपक्ष के बाद,दिवस जो पहला आता।
सब के मन सद्भाव, मातृ पूजा को भाता।
बेटी बहिनें मात, पराई सब की अपनी।
श्रेष्ठ एक संदेश, मात सम इन्हे समझनी।
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कन्या पूजन पर्व, अंत नवरात्रि मनाते।
लाते घर घर ढूँढ, दक्षिणा देय जिमाते।
बिटिया का सम्मान, सदा ही करलें भैया।
नारी दुर्गा रूप, बहिन बेटी सब मैया।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः