भावनाओं से ही भाव बनतें है।
भावों से ही भावनाएं चलती हैं।
जीवन चक्र यूँही चलता रहेगा।
बस दिल में आस्थायें रखो तुम सब।।
कहते है जीवन बहुत अनमोल है।
हर पल हर घड़ी जीना जरूरी है।
मूल सिध्दांत ये कहता है ।
खुद जीओ औरों को भी तुम जीने दो।।
स्नेह प्यार से मिलाकर रहो तुम सब।
ऐसी वैसी बाते तुम बोलो नहीं।
जिससे पीड़ा दोनों को हो बहुत।
मधुर वाणी से मुंह तुम खोलो सदा।।
हमने जितना समझ बस उतना लिखा।
बाकी सब पाठकों पर छोड़ दिया।
अब इसे आप सराहे या ठुकरा दे।
ये गीत का भविष्य आपके हाथ में हैं।
आप हमें अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर ही दे।
ताकि आगे भी मैं और लिखा सकूं।।
ये ही सुख शांति का महामंत्र है।
जो भी जीवन में इसे अपनाता है।
उसका पूरा जीवन महक जाता है।
हर कदम पर सफलता मिलती है इन्हें।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।