मै आशा के दीप जलाना चाहता हूँ |
निराशा के दीप बुझाना चाहता हूँ ||
जिस झोपडी में कभी न दीप जला |
उस झोपडी में दीप जलाना चाहता हूँ ||
मै ज्ञान का दीप जलाना चाहता हूँ |
अज्ञान का दीप बुझाना चाहता हूँ ||
जो ज्ञानी बनकर अज्ञानी बने हुए है |
उन सबको मै जगाना चाहता हूँ ||
मै शिक्षा का दीप जलाना चाहता हूँ |
अशिक्षा का बुझा दीप हटाना चाहता हूँ ||
अपनी भारत माता के मस्तक से |
मै अशिक्षा का नाम मिटाना चाहता हूँ ||
सबका विकास हो सबका साथ मिले |
सबको यहाँ समान अधिकार मिले ||
इस दीपावली पर भारत की भू पर |
अनगिनित हर तरफ ही दीप जले ||
#आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)